Wednesday, June 29, 2011

लाल सिंह

  1. लाल सिंह lnचित्रकूट जिलचित्रकूट Swabhimaan Times photographer KARWI,CHITRAKOOT u p mo 9899059425,9311554035 lalsinghphotographer.blogspot.com Lal Singh
    हम अपनी छवि से सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं, आईने में खुद को देखना पसंद भी करते हैं, लेकिन बोलता हुआ आईना तकलीफदेह स्थितियों में डाल देता है। इसलिए संभव है कि ज्यादातर लोग उन लोगों से दूर भागते हैं, जो उनके लिए आईने जैसा काम करते हों।
    जिला के साथ दायरे बढ़ते kचले गए ,

बचपन के वो दोस्त बिछड़ते चले गए ,

उन यादों से आज भी मन मचल जाता है ,

तस्वीरों को पलटकर देखूं तो आज भी जी ललचाता है ,

इंटरवल में अपने टिफिन से ज्यादा दूसरे का लंच झांकना ,

और टीचर के हर सवाल पर दोस्त का मूंह ताकना ,

हर मुश्किल पर दोस्त ही सहारा लगता था ,

उसका हर जवाब जैसे ईश्वर का इशारा लगता था,

वक्त बेवक्त के झगड़े चन्द मिनट भी नहीं चल पाते थे ,

तिरछी निगाहों से मुस्कुराकर हम दोनों ही फिर एक हो जाते थे ,

हर बार झगड़े के बाद की दोस्ती और मज़बूत हो जाती थी ,

दोनों की ऑंखें ताउम्र दोस्ती की कसम खाती थीं ,

कॉलेज के दिनों मे भी दोस्ती की ये कहानी चलती रही ,

टिफिन से हट अब केन्टीन मे ज़िन्दगी सिमटती रही ,

वक्त बिताता गया और हम बिजी हो गए ,

जो कभी संयुक्त थे अब वो निजी हो गए ,

रोज़ की वो बातें अब चैटिंग में तब्दील हो गयीं ,

अब तो दोस्ती भी नेटवर्क में सील हो गयी ,

महीनो और सालों में अब एक बार मिल पाते हैं ,

हर बार फिर मिलेंगे ये कहकर हम फिर निकल जाते हैं ,

मिलने का ये सिलसिला सिमटता चला गया ,

दोस्तों की लिस्ट से कोई नाम हर बार कटता चला गया ,

अभी तो परिवार है हम शायद उन्हें भूल जायेंगे ,

पर अधेड़ उम्र के सन्नाटे मे वो दोस्त फिर याद आएंगे ,

वो दोस्त फिर याद आएं


l

दोस्त बिछड़ते चले गए

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